आपने कुछ दिनों पहले एक आर्टिकल पड़ा होगा जो मेरे द्वारा लिखा हुआ था न्यूज़ थी कि भारत के बैंकिंग सिस्टम से 9.21 लाख करोड रुपए गायब और इसमें हमने बताया था कि सरकार को इस बात से चिंता है कि देश के अंदर ब्लैक मनी बढ़ चुकी है यह न्यूज़ अब तक पहुंचते-पहुंचते तो बहुत देर हो जाती है सरकार को तो ऊपर ही ऊपर आरबीआई का फोन चला जाता है कि जो नोट छापे थे वह वापस बैंकों में नहीं आ रहे हैं तो फिर कहां जा रहे हैं लोग अपने घरों के अंदर छुपा के रख रहे हैं इसका मतलब आप को टैक्स नहीं मिल रहा जो नोट हमने जारी किए 2000 के अब तो हमने छापने भी बंद कर दिए हैं फिर भी कुछ फर्क नहीं पड़ रहा मार्केट में जस की तस है लोगों ने एक नाम से नहीं कई नाम से पैसे निकालकर बैंकिंग सिस्टम से कई लोगों को अपने कर्मचारियों को भिन्न-भिन्न लोगों को इकट्ठा ककरके आधार कार्ड पैन कार्ड पकड़ा पकड़ा करके पैसे निकलवा लिए ।
पूरा पूरा ब्लैक मनी मार्केट में जा चुका हैअब सरकार को बढ़ा frustration हो गया जब देखो तब कोई न कोई याद दिला देता है कि demonitization fail हो गया तो क्या अब सरकार तंग आकर बोल रही है कि अब हम नोट ही नई छापेंगे औऱ तो औऱ कोई भी नोट नहीं छापेंगे ऐसा क़ुछ हो रहा है क्या क्योंकि हमें तो कुछ ऐसा ही लग रहा है ।
पहला तो जो हमने नोट छापे वो बैंक में वापस लौट के नही आये और दूसरा RBI को हर साल नोट छापने के अंदर कितना पैसा खर्च होता है लगभग 5000 करोड रुपए प्रिंटिंग पर खर्च हुआ था 2021-22 के अंदर और जो नोटबंदी हुई थी 8000 करोड़ों रुपए खर्च हुए थे केवल नोट की छपाई के ऊपर आरबीआई ने खुद फाइनेंशियल ईयर 2022 के लिए कहा है 79669 जाली नोट पकड़े जा चुके हैं यानी जाली नोट भी नही रुक रहे हैं।
सरकार ने जब ये शुरू किया Demonitization तो उस समय ये नही सोचा था कि लोग Digital economy को इतना जबरदस्त तरीके से अपनालेंगे । इससे सरकार को ये समझ में आया कि देश का युवा ऐसा भी है आप अंदाज़ा लगाइये हम लोगों ने 3000 करोड़ ट्रांज़ैक्शन डिजिटल ट्रांज़ैक्शन किये है April से जुलाई के बीच में लेकिन जो भी सरकार काम कर रही थी तो उसने सोचा नहीं था कि इतनी तेजी से बढ़ जाएगा।
अब सरकार जल्दी पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च करने वाली है इसमें पायलट का मतलब है पायलट जो एक एरिया में लांच होने से पहले चला कर देखा जाता है जैसे आरबीआई 4 बड़े बैंकों को इस काम के लिए चुना है आजकल बहुत कम लोग केस में ट्रांजैक्शन करते हैं जो लोग ऑनलाइन देखना पसंद करते हैं वह ऑनलाइन खर्च करना भी पसंद कर रहे हैं अकाउंट से अकाउंट में सीधा चला जाएगा सरकार तो अब यह विचार कर रही है क्यों ना हम डिजिटल करेंसी ले आए।
डिजिटल करेंसी क्या होता है
डिजिटल करेंसी का मतलब यह है कि आप लोगों को आपको अपनी पॉकेट वाले वॉलेट में नहीं मोबाइल वाले वॉलेट में रुपए रखना है जैसे आप पेटीएम में लगते हो ऐसे ही सेंट्रल बैंक ही केवल बैलेंस दे इससे फायदा क्या होगा हर बार जो प्रिंटिंग पर रुपए खर्च होता है वह बच जाएगा नंबर दूसरा जो हमने क्या नहीं उसके बारे में बात की वह भी बंद हो जाएगा तीसरा सरकार का जो इतना सारा मार्केट में पैसा गायब हो रखा है जिसके ऊपर टैक्स नहीं वसूला गया वह मामला भी सेटल हो जाएगा और सबसे इंपोर्टेंट चीज आप अगर नोटिस करें तो कितने लोगों को बाईपास करके आपके पास पैसा आएगा सरकार नोट ही नहीं बल्कि बैंक वालों की भी बड़ी आफत खड़ी करने वाली है।

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम हैं दीप्ति गुप्ता मैं एक स्टूडेंट हूँ और साथ मे ब्लॉगिंग भी करती हूँ NewsPur ब्लॉग पर मैं पढ़ाई से जुड़ी हुई जानकारी Share करती हूँ